"* मंजिल - एक चमकता हुआ कल *" तेरी खोज मे मैं, मैं ना रहा, तुझे पाने की आस मे भटकता रहा, है दूर तु अंजान तु, पर मेरी जिद को भी पहचान तु, है कठिन डगर परिथितियाँ भी है विपरीत मगर, करूँगा पार हर कठिन डगर चाहे कितना भी हो मुश्किल सफर, पा लूँगा तुझे एक ना एक दिन, है भरोसा मुझे अपने हौसलों पर, आज हूँ मै अँधेरे मे तो कोई गम नही मुझे, मै सोचता हूँ की कितना सुनहरा वो पल होगा, जब चूम लूँगा तेरे माथे को ए मंजिल और समाने एक चमकता हुआ कल होगा...!!! #manjil_ki_raah #Ek_chamakata_kal #yqdidi