*सुनो तो कहें* दुनियाँ भर के बेटे-बेटियो बहूओ-दामादो भाई-भाभियो दीदी -जीजाजियो अगर आप अपने माता-पिता सास-ससुर को त्योहारों पर भी आमने सामने दिखकर , गले मिलकर , चरण छूकर अपने पन का सुख नहीं दे सकते तो तुम्हारा होना न होना बराबर है.... बुजुर्गो को यही अपनापन चाहिए ,आपका उनके प्रति लगाव चाहिए , आपकी उनके पास उपस्थिति चाहिए और कुछ भी नहीं.... तो क्यों साँसों के चलते फोटो बन गए और अपने बुजुर्गो को बना रहे हो .... अगर आपके माता-पिता जीवित हैं तो रोजगार का साधन उनके पास रह सको ऐसी जगह ढूंढ़ो वरना पैसों के चक्कर में उनका आशीष न गवाँ देना ,याद रखो.. *पैसे और परिवार दोनों जरूरी हैं खुशहाल जीवन के लिए* दूर के ढोल नहीं पास की शहनाई बनो । परिवार न भीख में मिलता है ना पैसों से खरीदकर मिलता है..इसकी कदर करो । *बात चुभती है तो चुभ जाए इसलिए ही लिखा है।* *अगर बात समझ में आ गई तो समझ लेना आपके दिलो-दिमाग का सूरज उत्तरायण हो गया* *हैप्पी मकर संक्रांति* लेखिका/कवयित्री-प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान© सागर मध्यप्रदेश भारत ( 15 जनवरी 2023 ) #हैप्पीमकरसंक्रांति #प्रतिभा #प्रतिभाउवाच #प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कान© #प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कानकीकलमसे #स्वरचितविचार #नोजोटो