ऐसा वक्त ही क्यों लाया जाय किसी के न कहने से खुद को सताया जाय ऐसा क्यों किसी को बनाया जाए कि बार बार उसी को जमी से उठाया जाय बनना है तो बनो ऐसे मजबूत टहनी कि लाख दलदल, आधी में भी खिलखिलाया जाय हम भी हमारे भी सब उचाइयो को छुए सबके मुख से अपने ही नारे लगाए जाय ©sujeeta aisa क्यों खुद को बनाया जाय