#OpenPoetry वो थका हुआ मेरी बाहों में ज़रा सो गया था तो क्या हुआ अभी मैं ने देखा है चाँद भी किसी शाख़-ए-गुल पे झुका हुआ जिसे ले गई है अभी हवा वो वरक़ था दिल की किताब का कहीं आँसुओं से मिटा हुआ कहीं आँसुओं से लिखा हुआ कई मील रेत को काट कर कोई मौज फूल खिला गई कोई पेड़ प्यास से मर रहा है नदी के पास खड़ा हुआ मुझे हादसों ने सजा सजा के बहुत हसीन बना दिया मेरा दिल भी जैसे दुल्हन का हाथ हो मेहन्दियों से रचा हुआ वही ख़त के जिस पे जगह जगह दो महकते होंठों के चाँद थे किसी भूले-बिसरे से ताक़ पर तह-ए-गर्द होगा दबा हुआ वही शहर है वही रास्ते वही घर है और वही लान भी मगर उस दरीचे से पूछना वो दरख़त अनार का क्या हुआ मेरे साथ जुगनू है हमसफ़र मगर इस शरर की बिसात क्या ये चराग़ कोई चराग़ है न जला हुआ न बुझा हुआ ~ वो थका हुआ मेरी बाहों में ज़रा #openpoetry#nojoto#poem#love