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ख़्वाहिशें... कहाँ मुकम्मल होती है सारी ख़्वाहिशें,

ख़्वाहिशें...

कहाँ मुकम्मल होती है सारी ख़्वाहिशें,
बात ये तू जानती है या मैं जानता हूँ।

इस कदर तड़प रहे तेरी याद में कि
अब तो हिचकियां भी आने को कतराती है,
माना नही हैं प्यार मुझसे न था कभी
फिर क्यों आज भी मुझे देख तेरी नज़रें झुक जाती है। #ख़्वाहिशें
ख़्वाहिशें...

कहाँ मुकम्मल होती है सारी ख़्वाहिशें,
बात ये तू जानती है या मैं जानता हूँ।

इस कदर तड़प रहे तेरी याद में कि
अब तो हिचकियां भी आने को कतराती है,
माना नही हैं प्यार मुझसे न था कभी
फिर क्यों आज भी मुझे देख तेरी नज़रें झुक जाती है। #ख़्वाहिशें