वो बारिश का मौसम हम दोनों की रौनक वो मंगलवार की शाम हॉस्टल चौराहे की दूकान ************* सहेलियों के साथ आप का आना नजर झुका के मुस्कराना सब्जी लेने की स्टाइल आप के चेहरे की स्माइल ************ बात न करना घर की है मज़बूरी ये झूठ बोलना भी तुम्हे लगता है जरूरी गजब का है बहाना को सबसे अलग अपने को बताना प्यार नहीं है बोल के पीछे मुड़ मुड़ के देखते जाना ******************************* शाम को सब्जी के लिए जाना इसी बहाने तुमसे नजर मिलना तुम्हारी इसी अदा पर मरता हू रोज शाम को 6:30 बजे सब्जी लेने निकलता हूं **************** ✍️✍️✍️✍️✍️✍️ Brijesh Kumar Ghazipur tumhari mulakat sbji ki dukan