काबलियत है, तो शब्दों से खेल के दिखाओ, हिम्मत है, तो जरा शायर की नज़्म तोड़ के दिखाओ, खुशी तो क्षणभंगुर है,जरा दर्द को सह के दिखाओ, अडिग है अग्नि की ज्वाला,जरा समंदर में आग लगा के दिखाओ विछिप्त है योगी का संसार, ज़रा तपस्या भंग तो कर के दिखाओ विलुप्त है वो भस्म की राख में,कभी अघोरी सा बेपाक बन के दिखाओ बहुत नचाया है अपने इशारों पे, अब जरा डमरू सा बज के दिखाओ -Manku Allahabadi डमरू #डमरू #Yogi #aghori #mortal