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लम्हे कुछ अनकहे अनसुने वक्त की रेत में डूबे है


  
लम्हे कुछ अनकहे अनसुने वक्त की रेत में डूबे है
आज इन्हे मुट्ठी भर हवा में आजाद करूं
हर लम्हा संजोए है किस्से तुम्हारे 
जो छूटते गए उन्हें याद करूं
कुछ हवा में मिलते रहे 
कुछ बार बार मेरी और मुड़ते रहे 
कुछ हाथों में है लिपटते गए
 और कुछ दिल में उतरते गए
कुछ अजनबी बनकर दूर चलते गए

©Rajender
  #sandofthetime