कठिन परिस्थितियाँ देकर, तराशता है हमें भगवान्। जो झेल नही पाते, टूट जाते है, वह पत्थर ही रह जाते है। जो दृणता से डटे रहते है, वह बेमिसाल चमक पा ही जाते हैं। टूटना तो स्वाभाविक है, पर मज़ा ऐसे डटे रहने में है, जब मुश्किलें हमसे ही हो जाऐं परेशान। जितना तराशा हुआ हो इन्सान, वह उतना ही शालीन होता है और शालीनता का बीज ओरों में भी बोता है।