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पुछल्लू और मटुरिया की होली मटुरिया चुहिया गुस्से

 पुछल्लू और मटुरिया की होली

मटुरिया चुहिया गुस्से से, अपने बिल के एक कोने से दूसरे कोने में पैर पटकते हुए घूम रही थी और बड़बड़ा रही थी-"मेरा तो काम करते - करते भुर्ता बना जा रहा हैI"

पुछल्लू चूहा बेचारा दुम दबाए बैठा हुआ थाI

मटुरिया अपनी महीन आवाज़ में फ़िर पिनपिनाई-"सुबह से तीन बार दाल बाटी गर्म कर चुकी हूँI चुपचाप खाते क्यों नहीं?"
 पुछल्लू और मटुरिया की होली

मटुरिया चुहिया गुस्से से, अपने बिल के एक कोने से दूसरे कोने में पैर पटकते हुए घूम रही थी और बड़बड़ा रही थी-"मेरा तो काम करते - करते भुर्ता बना जा रहा हैI"

पुछल्लू चूहा बेचारा दुम दबाए बैठा हुआ थाI

मटुरिया अपनी महीन आवाज़ में फ़िर पिनपिनाई-"सुबह से तीन बार दाल बाटी गर्म कर चुकी हूँI चुपचाप खाते क्यों नहीं?"