आपने त्रेता-द्वापर में अनेक राजाओं के यहां की सुरक्षा व्यवस्था के बारे में पढ़ा होगा। किस प्रकार स्वयं राजा अपनी प्रजा के हाल जानने को स्वयं रात में शहर मे भेष बदलकर निकलते थे। आज हम लोकतंत्र में जी रहे हैं और अनुभव कर रहे हैं कि जिन लोगों, पुलिस विभाग, गृह विभाग एवं अन्य सुरक्षा एजेंसियो के भरोसे रक्षा का दायित्व है, उनमें से अधिकांश तो भक्षक बन बैठे हैं। आसुरी भाव तो सत्ता के मद में लीन हो चुका।
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