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कल का बोझ आज क्यों उठाना, नई सुबह हैं नई रोशनी, नई

कल का बोझ आज क्यों उठाना,
नई सुबह हैं नई रोशनी,
नई सुबह को नई उम्मीदों संग फिर, 
नए सिरे से  जीते जाना। ।
आज है वो फिर ना लौटेगा, 
कल के बोझ से क्यों आज को  निराश कर, 
पोंछ चिंता, अश्रु कल के गम को भुला, 
आज के हर पल को खुशी से जीते जाना।

©Kavita jayesh Panot #कल के बोझ को क्यों उठाना
कल का बोझ आज क्यों उठाना,
नई सुबह हैं नई रोशनी,
नई सुबह को नई उम्मीदों संग फिर, 
नए सिरे से  जीते जाना। ।
आज है वो फिर ना लौटेगा, 
कल के बोझ से क्यों आज को  निराश कर, 
पोंछ चिंता, अश्रु कल के गम को भुला, 
आज के हर पल को खुशी से जीते जाना।

©Kavita jayesh Panot #कल के बोझ को क्यों उठाना

#कल के बोझ को क्यों उठाना #विचार