तुम आ रहे हो, न जाने आज क्या बात कहने वाले हो, ज़बान खुश्क है, आवाज़ रुकती जाती है। खुद अपने कदमों की आहट से मैं डर सी जाती हूँ। खुद अपने साये की जुंबिश से खौफ खाए हुए कितनी परछाईयाँ उभरती हैं। रवाँ है छोटी-सी कश्ती हवाओं के रुख पर, नदी के साज़ पे मल्लाह जो गीत गाता है। तुम्हारा ज़िक्र, तुम्हारी यादें हर एक लहर के झकोले से मेरी खुली हुई बाहों में झूल जाता है, उन यादों के थपेड़ो से कितनी परछाईयाँ उभरती हैं.. #परछाइयाँ #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #suchitapandey तुम आ रहे हो, न जाने आज क्या बात कहने वाले हो, ज़बान खुश्क है, आवाज़ रुकती जाती है। खुद अपने कदमों की आहट से मैं डर सी जाती हूँ। खुद अपने साये की जुंबिश से खौफ