ये*शमशीरे*दस्त से गिरा दो यारो, जरा ऐसी*तदबीर भी निकालो यारो// *तलवार*हाथ*उपाय मेरा*दर्दे-जब्त इस वतन को पैग़ाम ये देगा इस*मजलूम को भी ज़रा प्यार से संभालो यारो// *पीड़ा_सहन*अन्याय सहने वाला हम हाथों में लिए बैठे हैं अपनी जाने,आज यमदूत को भी महफ़िल में बुला लो यारो// गर आज जख्म कुरेदे तो हरा देखेंगे,इन जख्मों को भी जरा अपनो से भरालो यारो// आज नेता के इशारों पे जो फ़िदा है*रिआया इस फना होंती रिआया को भी बचालो यारो//* जनता इस वतन से कैसे नफरत मिट नहीं सकती,जरा तबीअ'त से,*दस्त_ए_मुहब्बत भी बढ़ा लो यारो// *प्रेमपूर्ण हाथ *मुखालिफ कहते है कि ये बात नहीं कहने की शमा ने कह दी है तो कहने की भी *खता लो यारो// *विरोधी*सजा शमीम अख्तर/शमा writes ✍️ ©shama write ये*शमशीरे*दस्त से गिरा दो यारो,जरा ऐसी*तदबीर भी निकालो यारो//*तलवार*हाथ*उपाय मेरा*दर्दे-जब्त इस वतन को पैग़ाम ये देगा,इस*मजलूम को भी ज़रा प्यार से संभालो यारो//*पीड़ा_सहन*अन्याय सहने वाला हम हाथों में लिए बैठे हैं अपनी जाने,आज *यमदूत को भी महफ़िल में बुला लो यारो// *मौत का फरिश्ता गर आज जख्म कुरेदे तो हरा देखेंगे,इन जख्मों को भी जरा अपनो से भरालो यारो//