सुनो जाना सोची थी तुमसे बात करके जी हल्का कर लूंगी, पर न जाने ऐसा क्यों हो जाता है कि उस दिन तुम भी मन से ठीक नहीं लगते, फिर न तो बात सही से करते हो, न ही मैं कुछ कह पाती हूँ। कहना समझना औ समझाना बहुत कुछ रहता है, पर गलत मैं ही बन जाती हूँ ©shailja ydv सुनो जाना