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कहीं पर शाम ढलती है, कहीं पर रात होती है। खुद मे


कहीं पर शाम ढलती है, कहीं पर रात होती है। 
खुद में तन्हा तन्हा हम, अकेले गुमसुम रहते है। 

तन्हाई की इस आग में, कहीं जल ही न जाऊँ। 
के अब तो कोई मेरे आशियाने को बचा ले।।  किसके साथ से हैं महरूम 
ख़ुद में तन्हा तन्हा हम।
#तन्हातन्हा #collab #yqdidi #सुचिता #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi #suchitapandey 
कहीं पर शाम ढलती है, कहीं पर रात होती है। 
खुद में तन्हा तन्हा हम, अकेले गुमसुम रहते है। 

तन्हाई की इस आग में, कहीं जल ही न जाऊँ।

कहीं पर शाम ढलती है, कहीं पर रात होती है। 
खुद में तन्हा तन्हा हम, अकेले गुमसुम रहते है। 

तन्हाई की इस आग में, कहीं जल ही न जाऊँ। 
के अब तो कोई मेरे आशियाने को बचा ले।।  किसके साथ से हैं महरूम 
ख़ुद में तन्हा तन्हा हम।
#तन्हातन्हा #collab #yqdidi #सुचिता #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi #suchitapandey 
कहीं पर शाम ढलती है, कहीं पर रात होती है। 
खुद में तन्हा तन्हा हम, अकेले गुमसुम रहते है। 

तन्हाई की इस आग में, कहीं जल ही न जाऊँ।