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DDLJ 2.0 Chapter 1:The Introduction उम्मीद है आप स

DDLJ 2.0
Chapter 1:The Introduction उम्मीद है आप सब ने DDLJ तो देखी ही होगी, अब तक तो आपके दिमाग में "तुझे देखा तो ये जाना सनम" गाना भी बजने लगा होगा। और जिसने भी एक दफा उस फिल्म को देख लिया तो वह सिमरन को कैसे भूल सकता है।  सिमरन, एक शांत मगर बेहद मजबूत लड़की जिसे पता था कि अपने सपनों को किनारे रखकर घरवालों की मर्जी के हिसाब से उनके फैसलों को कैसे मानना है। घर की बड़ी बेटी, घर की इज्जत, जो की बड़ी होने के कारण ढंग से रो भी नहीं सकती थी। अपनी और अपनों की छोटी सी दुनिया का स्तंभ हमारी सिमरन अपनी इसी छोटी सी दुनिया में जीवन के रंग तलाशती थी।
अब अगर आपको सिमरन याद है तो ज़ाहिर सी बात है कि आपको उसकी छोटी बहन छुटकी भी याद होगी। ओह सॉरी! सॉरी! छुटकी नहीं राजेश्वरी, मिस राजेश्वरी सिंह। दरअसल कोई इन्हें इनके घरेलू नाम से बुलाए यह इन्हें जरा भी पसंद नहीं था। हालांकि मैं फिर भी छुटकी ही लिखूंगा। छुटकी और सिमरन की अपनी एक अलग ही दुनिया थी, जिसमें सिमरन अक्सर छुटकी को बाउजी से बचाती थी, उसकी गलतियों को अपने सर लेकर उसे सुधारने का वादा करती थी, तो वहीं छुटकी भी सिमरन का साथ हर बात में देती थी। पिताजी के आने से पहले दोनों साथ में डांस करते थे, बाउजी और रिश्तेदारों की कुछ आदतों पर अकेले में ठहाके लगाते थे, वगैरा वगैरा। कुल मिलाकर सिमरन और छुटकी एक दूसरे के पूरक थे। छुटकी के लिए सिमरन सिर्फ एक बड़ी बहन ही नहीं बल्कि उसकी दूसरी मां भी थी।
यह तो हो गई इनके आपसी रिश्ते की बात, लेकिन अब जो मैं आपको बताने जा रहा हूं यह बात उस दिन से लगभग 12 साल बाद की है जब बाउजी ने सिमरन से कहा था कि "जा सिमरन जा, जी ले अपनी जिंदगी" और सिमरन राज के साथ उस ट्रेन पर चढ़ गई थी। इन बीते 12 सालों में बहुत कुछ बदला था, आज सिमरन एक बच्ची की मां है और ईश्वर ने अपनी मर्जी दिखाते हुए राज को सिमरन से दूर कर दिया है। बाउजी ने लंदन का अपना सारा कारोबार बंद कर दिया है, उन्हें अब अपने उन्हीं खेतों और मिट्टी की खुशबू के साथ रहना पसंद हैं और इसीलिए मां को भी उनके साथ गांव में ही रहना पड़ता है और इसीलिए सिमरन भी इंडिया में ही रहती है। राज के बाद के अकेलेपन को दूर करने के लिए सिमरन शहर में एक नौकरी ढूंढती है जिसके कारण बीते कुछ सालों से सिमरन, छुटकी और नव्या (सिमरन की बेटी) शहर में रहते हैं और इसके कारण बनती है एक अद्भुत तिकड़ी।
सिमरन को वक्त और जिम्मेदारियों ने और भी शांत कर दिया है लेकिन अपनी इन जिम्मेदारियों के कारण अब वह अपनी बातें कह पाती है और साथ ही अपने गुस्से के दम पर छुटकी और नव्या पर थोड़ा हावी भी रहती है क्योंकि अब उसी को घर के पुरुष की भूमिका भी निभानी है। और छुटकी, माफ कीजिएगा मिस राजेश्वरी सिंह भी अब बेहद शांत हो गई हैं, और अब तो इन्हें बिल्कुल नहीं पसंद कि कोई इन्हें छुटकी बुलाए। और इन दोनों की माताजी(हरकतों में) उर्फ नव्या जी, उनके बारे में तो क्या ही कहा जाए। चटपटी, प्यारी, नटखट जैसा कि एक बच्चे को होना चाहिए। 
मगर एक घर जहां बिल्कुल अलग उम्र की तीन कन्याएं और महिला रहती हो वहां धूमधामके तो होने लाज़मी है ही।  तो कैसे धमाके होते हैं इन लोगों के बीच, उसमें किसका कितना योगदान होता है...... और क्या हुआ था उस दिन...… ये सब समय मिलने पर आप सबको जल्दी बताऊंगा......

Note:-इसके एक एक चैप्टर आयेंगे, और अगर आप लोगों को इसमें इंटरेस्ट हो तो मुझे याद दिला दिया देते रहिएगा, क्योंकि मैं लिखना भूल जाता हूं😄
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Chapter 1:The Introduction उम्मीद है आप सब ने DDLJ तो देखी ही होगी, अब तक तो आपके दिमाग में "तुझे देखा तो ये जाना सनम" गाना भी बजने लगा होगा। और जिसने भी एक दफा उस फिल्म को देख लिया तो वह सिमरन को कैसे भूल सकता है।  सिमरन, एक शांत मगर बेहद मजबूत लड़की जिसे पता था कि अपने सपनों को किनारे रखकर घरवालों की मर्जी के हिसाब से उनके फैसलों को कैसे मानना है। घर की बड़ी बेटी, घर की इज्जत, जो की बड़ी होने के कारण ढंग से रो भी नहीं सकती थी। अपनी और अपनों की छोटी सी दुनिया का स्तंभ हमारी सिमरन अपनी इसी छोटी सी दुनिया में जीवन के रंग तलाशती थी।
अब अगर आपको सिमरन याद है तो ज़ाहिर सी बात है कि आपको उसकी छोटी बहन छुटकी भी याद होगी। ओह सॉरी! सॉरी! छुटकी नहीं राजेश्वरी, मिस राजेश्वरी सिंह। दरअसल कोई इन्हें इनके घरेलू नाम से बुलाए यह इन्हें जरा भी पसंद नहीं था। हालांकि मैं फिर भी छुटकी ही लिखूंगा। छुटकी और सिमरन की अपनी एक अलग ही दुनिया थी, जिसमें सिमरन अक्सर छुटकी को बाउजी से बचाती थी, उसकी गलतियों को अपने सर लेकर उसे सुधारने का वादा करती थी, तो वहीं छुटकी भी सिमरन का साथ हर बात में देती थी। पिताजी के आने से पहले दोनों साथ में डांस करते थे, बाउजी और रिश्तेदारों की कुछ आदतों पर अकेले में ठहाके लगाते थे, वगैरा वगैरा। कुल मिलाकर सिमरन और छुटकी एक दूसरे के पूरक थे। छुटकी के लिए सिमरन सिर्फ एक बड़ी बहन ही नहीं बल्कि उसकी दूसरी मां भी थी।
यह तो हो गई इनके आपसी रिश्ते की बात, लेकिन अब जो मैं आपको बताने जा रहा हूं यह बात उस दिन से लगभग 12 साल बाद की है जब बाउजी ने सिमरन से कहा था कि "जा सिमरन जा, जी ले अपनी जिंदगी" और सिमरन राज के साथ उस ट्रेन पर चढ़ गई थी। इन बीते 12 सालों में बहुत कुछ बदला था, आज सिमरन एक बच्ची की मां है और ईश्वर ने अपनी मर्जी दिखाते हुए राज को सिमरन से दूर कर दिया है। बाउजी ने लंदन का अपना सारा कारोबार बंद कर दिया है, उन्हें अब अपने उन्हीं खेतों और मिट्टी की खुशबू के साथ रहना पसंद हैं और इसीलिए मां को भी उनके साथ गांव में ही रहना पड़ता है और इसीलिए सिमरन भी इंडिया में ही रहती है। राज के बाद के अकेलेपन को दूर करने के लिए सिमरन शहर में एक नौकरी ढूंढती है जिसके कारण बीते कुछ सालों से सिमरन, छुटकी और नव्या (सिमरन की बेटी) शहर में रहते हैं और इसके कारण बनती है एक अद्भुत तिकड़ी।
सिमरन को वक्त और जिम्मेदारियों ने और भी शांत कर दिया है लेकिन अपनी इन जिम्मेदारियों के कारण अब वह अपनी बातें कह पाती है और साथ ही अपने गुस्से के दम पर छुटकी और नव्या पर थोड़ा हावी भी रहती है क्योंकि अब उसी को घर के पुरुष की भूमिका भी निभानी है। और छुटकी, माफ कीजिएगा मिस राजेश्वरी सिंह भी अब बेहद शांत हो गई हैं, और अब तो इन्हें बिल्कुल नहीं पसंद कि कोई इन्हें छुटकी बुलाए। और इन दोनों की माताजी(हरकतों में) उर्फ नव्या जी, उनके बारे में तो क्या ही कहा जाए। चटपटी, प्यारी, नटखट जैसा कि एक बच्चे को होना चाहिए। 
मगर एक घर जहां बिल्कुल अलग उम्र की तीन कन्याएं और महिला रहती हो वहां धूमधामके तो होने लाज़मी है ही।  तो कैसे धमाके होते हैं इन लोगों के बीच, उसमें किसका कितना योगदान होता है...... और क्या हुआ था उस दिन...… ये सब समय मिलने पर आप सबको जल्दी बताऊंगा......

Note:-इसके एक एक चैप्टर आयेंगे, और अगर आप लोगों को इसमें इंटरेस्ट हो तो मुझे याद दिला दिया देते रहिएगा, क्योंकि मैं लिखना भूल जाता हूं😄