भूख सब को भूख है और सब की भूख पूरी भी होती है कोई दया खाता है तो कोई खार कोई वहम खाता है तो कोई मार कोई मुनाफ़ा खाता है तो कोई इल्ज़ाम कोई अपने प्रेमी को खाता है तू कोई राँड कोई खाता है नर जाति तो कोई खा जाता है संपूर्ण प्रजाति कोई जवानी खा जाता है तो कोई स्मृतियाँ कोई गाँव के गाँव खा जाता है तो कोई त्रुटियाँ कोई शर्म खा जाता है तो कोई कमियाँ अंत में यह भूख हमें खा जाएगी और जब कुछ भी नहीं बचेगा तो स्वयं को। ©Abhishek 'रैबारि' Gairola भूख सब को भूख है और सब की भूख पूरी भी होती है कोई दया खाता है तो कोई खार कोई वहम खाता है तो कोई मार कोई मुनाफ़ा खाता है तो कोई इल्ज़ाम कोई अपने प्रेमी को खाता है तू कोई राँड कोई खाता है नर जाति