बस कुछ इस तरह कविता हम में बस रही है, जैसे जिंदगी अपनी रफ़्तार से गुज़र रही है, बरसों से ये कविता ही है जो संग चल रही है, बसती मेरे शहर की यहाँ अपना रंग बदल रही है, और कलम मेरी बस बेबाक चल रही है, दबा हुआ हुनर कहो, या कह दो हकीकत ऐ जिंदगी, जो कविता के जरिये दिल से निकल रही है, हाँ इसी तरह कविता हमें रच रही है!! ©Asmita Singh #Kavitaye #basti