गुलशन-ए-बहार हूँ मैं, रोज़ बदल जाए वो किरदार हूँ मैं, लोग सोचते है कुछ नहीं रखा मुझमे जहाँ हर शय मिल जाए वो बाजार हूँ मैं, पढ़े लिखे लोगों की तरह मुझे ज्ञान देना नहीं आता पर जैसा भी हूँ बेशुमार हूँ मैं। ©Anuj Verma #gulshan बेशुमार हूँ मैं #candle