जो रहती थी इस मुखड़े पर वो मुस्कान भी मेरे हक़ में थी😔 जो छीन ली उन हैवानों ने वो खुशियां मेरे हक़ में थी🥺 अब नज़रें नहीं उठा पाते पापा की इज्ज़त हक़ में थी😣 वो मां भी गुमसुम रहती है इस घर की रौनक हक़ में थी😢 सब बात मेरी ही करते हैं ख़ामोशी मेरे हक़ में थी😬 अब चेहरा नहीं दिखा पाती आज़ादी मेरे हक़ में थी😓 संग लाती मीठे सपने जो वो नींदें मेरे हक़ में थी😫 जब लुटी आबरू थी मेरी वो शाम ना मेरे हक़ में थी😑 कुछ भी ज्यादा ना चाहा था इक आम कहानी हक़ में थी😶 जिसे झेल रही हूं पल पल अब वो ज़िल्लत उनके हक में थी😷 .....तरुण✍️ #Respect_girls🙏