शीर्षक - *विस्वास* जब आंखों से नीर चले, जब अंतर्मन से अश्रु की धार बहे, बाहर बहे शितलता पुरवाई की, और दिल एकांत कहे। तो चलो उस व्योम गगन में, एक नई पहचान बनाते हैं, सूर्य से भी तेज खुद को सजाते है। कवच कुंडल से शोभित खुद को बनाते हैं ऐसे ना मन तू हार मान , अभी करना है तुझको सफर अनंत। कर खुद पर विस्वास चलो, वन - उपवन जीत चलो , रास्ते आने वाले हर बाधा - विघ्नों को चीर चलो । एक दिन मन तुम विश्व अनंत चलो, एक दिन मन तुम अपने हिसाब चलो । अभिषेक सिंह... ✍️✍️ ©Writer Abhishek Anand 96 #Hill चीर चलो