जग रूठे तो रूठे मुझसे.... राग द्वेष से दूर रखो भगवन मेरी ये विनती है। जग रूठे तो रूठे मुझसे तेरे आँगन में गिनती है। यूँ विश्वास मेरा बढ़ता जाए रंग तेरा चढ़ता जाए। तन मन सब अर्पण कर दूँ भाव मेरा बढ़ता जाए। मन रूठे तो रूठे मुझसे.... जो प्रेम प्रणय चाहा दिल ने तुम मुझको देते जाना! नफ़रत ईर्ष्या और अहंकार तुम मुझसे लेते जाना। मुझको इतनी शक्ति देना हर संकट को मैं पार करूँ। मधुर रहे व्यवहार मेरा मैं विपदाओं का संहार करूँ। तन रूठे तो रूठे मुझसे.... मेरा जीवन हो सार भरा सामर्थ्य मुझे इतना देना। मेरे जीवन को महादेव तुम व्यर्थ नहीं होने देना। भक्ति और सद्भाव रहे आपस में भी अनुराग रहे। हो सबका मन पावन भगवन आत्म ज्ञान वैराग रहे। जग रूठे तो..... #kkकाव्यमिलन #विशेषप्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़ #काव्यमिलन_4 #कोराकाग़ज़काव्यमिलन #कोराकाग़ज़ #पाठकपुराण