"2 अक्टूबर- गांधी जयंती " आपके बताए रास्तों पर जब हम चलते हैं लोग हम पर हंसते हैं गांधी जी..........। लालच ,भ्रस्टाचार,छल,कपट .......... लोग यही अब करते हैं गांधी जी । मारकाट का आलम है चंहु ओर ....... सिर झुका ,सब सहते हम गांधी जी । मन की बात मन मे रह जाती ..... किसी से कुछ नहीं कहते हम गांधी जी । जीना हुआ है दूभर फिर भी ...... जिंदा रहते हैं हम गांधी जी । लेना होगा फिर से जन्म आपको..... हम भारतवासी ये कहते आपसे गांधी जी दीप्ति श्रीवास्तव (दीपा) राजनांदगांव ,छत्तीसगढ़ ©Deepti Shrivastava 2 अक्टूबर गांधी जयंती पर कविता #brothersday