मौसम आज मौसम कुछ बेरुखा सा है.. अंतर्द्वंद की आग मे पानी भी कुछ झुलसा सा है कहूँ तो तेरा गुनाह नहीं इसमे ये मौसम ही यादों का फेरा सा है.. ये सर्द भरी हवायें ये तन्हा फिजायें तुम बिन, जैसे एक पलंग बिन गद्दा कोई बेरंग बिछौना सा है... कहूँ तो तेरा गुनाह नहीं इसमे ये मौसम ही कुछ नटखट खिलौना सा है.... सांसो में चुभन है जज्बातों में एहसास कुछ कम है ये बिन एहसास तेरा एहसास होना बे मौसम बरसात सा है कहूँ तो तेरा गुनाह नहीं इसमे ये मौसम ही सबसे अलबेला है... दीक्षा 'श्रुति' #मौसम #nojotohindi