सब तो हैं मेरे पास यहां,फिर भी मन की ना मिली है थाह। भटक रहा बैचेन ये ऐसे,जैसे भटका पथिक हो राह। एक तेरे ना होने से मुझको,मंजिल से दूरी लगती है। खुश नहीं रहता मन मेरा,अब तुम ही आके थाम लो बांह।। ©Rimpi chaube #खुश_नहीं_रहता_मन_मेरा 😊 सब तो हैं मेरे पास यहां,फिर भी मन की ना मिली है थाह। भटक रहा बैचेन ये ऐसे,जैसे भटका पथिक हो राह। एक तेरे ना होने से मुझको,मंजिल से दूरी लगती है। खुश नहीं रहता मन मेरा,अब तुम ही आके थाम लो बांह।।