तन-हृदय तप्त और तप्त है धरा, लाल-लाल आँखें, चेहरा उतरा-उतरा। तुमसे है यही गुजारिश, ज़रा भेज दो, अपने शहर की बारिश, ज़रा भेज दो। आज हवा भी जैसे आग लगा रही है, तानसेन की वाणी दीपक राग गा रही है। है यह मौसम की साज़िश, ज़रा भेज दो, अपने शहर की बारिश, ज़रा भेज दो। हरियाली सिमट रही, मुरझा रहीं कलियाँ, जीव-जंतु बेहाल हैं, सब सूनी हैं गलियाँ। हम पर करो नवाज़िश, ज़रा भेज दो, अपने शहर की बारिश, ज़रा भेज दो।। ज़रा भेज दो 🙏🏻 #vks #yqbaba #yqdidi #yqgudiya #yqmuzaffarpur #yqrain #yqhindi