ये तुम जो डगमगा रहे हो न , ये प्रेम की राह है । और प्रेम की इस पगडंडी पर चलना इतना आसान नही है ।और ये जो विश्वास , पारस्परिक सम्मान , भावो की सच्चाई, और निस्वार्थता जैसे प्रेम रूपी शब्दो से बच रहे हो , वो इस माटी के समान है जिसके बिना इस पगडंडी की कल्पना करना मुश्किल है । चलना है इस पर तो इससे गुजरना ही पड़ेगा ।।। # पगडंडी