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देख के भी मैं अनदेखा कर देता हूँ छुप-छुपकर वो मु

 देख के  भी मैं अनदेखा कर देता हूँ
छुप-छुपकर वो मुझे निहारा करती है

सामने आ जाने पर चुप हो जाती है
दूर से मेरा नाम पुकारा करती है

वो अपने लब खोले उसे गवारा नहीं
आँखों-आँखों में ही इशारा करती है

एक हाथ में कागज़,एक में कलम लिए
वो मेरी तस्वीर उतारा करती है

--प्रशान्त मिश्रा "मुझे निहारा करती है"
 देख के  भी मैं अनदेखा कर देता हूँ
छुप-छुपकर वो मुझे निहारा करती है

सामने आ जाने पर चुप हो जाती है
दूर से मेरा नाम पुकारा करती है

वो अपने लब खोले उसे गवारा नहीं
आँखों-आँखों में ही इशारा करती है

एक हाथ में कागज़,एक में कलम लिए
वो मेरी तस्वीर उतारा करती है

--प्रशान्त मिश्रा "मुझे निहारा करती है"

"मुझे निहारा करती है"