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देखता हूं उस चाँद को आज मैं तन्हा जिस चाँद रोज मेर

देखता हूं उस चाँद को आज मैं तन्हा
जिस चाँद रोज मेरा चाँद देखता था तन्हा।

उसकी शिकायते गले में फांस की तरह चुभती है
जो उसने बंद कमरे की इन चार दीवारों से की तन्हा।

मैंने कुछ कमाया उसके लिए
जिसने जिंदगी लूटा दी मेरे लिए तन्हा।

उसकी जुबा से एक उफ़ तक न निकला
जो चला था अंगारों पर अबतलक मेरे पीछे तन्हा।

मैंने छोड़ दिया उस खुदा को खुदा के लिए
वो चला भी गया मुस्कराकर पास उनके तन्हा।।

©sourabh srivastava #sks1711997
#seires1711997
#Moon 
#lonliness 
#nojato 

#Smile
देखता हूं उस चाँद को आज मैं तन्हा
जिस चाँद रोज मेरा चाँद देखता था तन्हा।

उसकी शिकायते गले में फांस की तरह चुभती है
जो उसने बंद कमरे की इन चार दीवारों से की तन्हा।

मैंने कुछ कमाया उसके लिए
जिसने जिंदगी लूटा दी मेरे लिए तन्हा।

उसकी जुबा से एक उफ़ तक न निकला
जो चला था अंगारों पर अबतलक मेरे पीछे तन्हा।

मैंने छोड़ दिया उस खुदा को खुदा के लिए
वो चला भी गया मुस्कराकर पास उनके तन्हा।।

©sourabh srivastava #sks1711997
#seires1711997
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#lonliness 
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