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बिन सांसों के कभी जीया नहीं जाता, दर्द कम ही हो मग

बिन सांसों के कभी जीया नहीं जाता,
दर्द कम ही हो मगर सीया नहीं जाता
तुमने तो कर लिया किनारा हमसे
मगर,
अपनों से किनारा कभी किया नहीं जाता।।

शान-ए-शौकत तो हम भी जी सकते थे,
घूंट अमृत के तो हम भी पी सकते थे।
दूर होने से क्या रिश्ते कम होते हैं
अरे मज़बूरी में न जाने कितने गम होते हैं
शीशा बेकार भी हो जाए तो तोड़ा नहीं जाता
और अपनों से मुंह कभी मोड़ा नहीं जाता।।

जो हालात-ए-रुखसत बीत चुके,
वो दोहराने से फायदा क्या!
माना कि हम बुरे थे, मगर 
अब अपनेपन का कायदा क्या!

हम थे अपने मगर बैगाने हो चले,
तुम्हें पाने की चाहत में न जाने कितनी बार जले?
मगर हालत-ए-दिल कभी मिला ही नहीं
खेर छोड़ो अब तो तुमसे कोई गिला ही नहीं
मगर एक बात मैं और बताता हूं,
अपने दर्द को दो पंक्तियों में जताता हूं।
कि
अमीरी दिलों की होती हैं,
जिसमें न जाने कौन गरीब रहा?
मैं तो जमीन पर खड़ा होकर जमीन पर ही पड़ा रहा।
शायद तुमने आशमां के चक्कर में
अपनों को खो दिया,
मेरा क्या था! दिल पत्थर करके दो घड़ी रो दिया।

अब तो कुछ भी कहने का मन नहीं हैं,
तुम्हें अपना बनाने का भी स्वपन नहीं हैं।
अब तो अच्छा होगा कि सब कुछ भुला दिया जाए 
अपने मन को शांत करके सुला दिया जाए।

मैने लिखा हाल-ए-दिल,
समझ लो तुम भी महान हो।
किसी जमाने के तुम भी विद्वान हो।
इसीलिए कहता हूं कि
अमीर को भिक्षा कभी दी नहीं जाती।
और विद्वान को शिक्षा कभी दी नहीं जाती।

✍️कवि तनेंद्र सिंह खिरजा rohit singh Pari aggarwal♥️ Lakshmi singh Aadarsha singh Deepika Dubey
बिन सांसों के कभी जीया नहीं जाता,
दर्द कम ही हो मगर सीया नहीं जाता
तुमने तो कर लिया किनारा हमसे
मगर,
अपनों से किनारा कभी किया नहीं जाता।।

शान-ए-शौकत तो हम भी जी सकते थे,
घूंट अमृत के तो हम भी पी सकते थे।
दूर होने से क्या रिश्ते कम होते हैं
अरे मज़बूरी में न जाने कितने गम होते हैं
शीशा बेकार भी हो जाए तो तोड़ा नहीं जाता
और अपनों से मुंह कभी मोड़ा नहीं जाता।।

जो हालात-ए-रुखसत बीत चुके,
वो दोहराने से फायदा क्या!
माना कि हम बुरे थे, मगर 
अब अपनेपन का कायदा क्या!

हम थे अपने मगर बैगाने हो चले,
तुम्हें पाने की चाहत में न जाने कितनी बार जले?
मगर हालत-ए-दिल कभी मिला ही नहीं
खेर छोड़ो अब तो तुमसे कोई गिला ही नहीं
मगर एक बात मैं और बताता हूं,
अपने दर्द को दो पंक्तियों में जताता हूं।
कि
अमीरी दिलों की होती हैं,
जिसमें न जाने कौन गरीब रहा?
मैं तो जमीन पर खड़ा होकर जमीन पर ही पड़ा रहा।
शायद तुमने आशमां के चक्कर में
अपनों को खो दिया,
मेरा क्या था! दिल पत्थर करके दो घड़ी रो दिया।

अब तो कुछ भी कहने का मन नहीं हैं,
तुम्हें अपना बनाने का भी स्वपन नहीं हैं।
अब तो अच्छा होगा कि सब कुछ भुला दिया जाए 
अपने मन को शांत करके सुला दिया जाए।

मैने लिखा हाल-ए-दिल,
समझ लो तुम भी महान हो।
किसी जमाने के तुम भी विद्वान हो।
इसीलिए कहता हूं कि
अमीर को भिक्षा कभी दी नहीं जाती।
और विद्वान को शिक्षा कभी दी नहीं जाती।

✍️कवि तनेंद्र सिंह खिरजा rohit singh Pari aggarwal♥️ Lakshmi singh Aadarsha singh Deepika Dubey