उजाले ढूंढते हैं रातों को जग-जग कर दिन के उजाले ढूंढते हैं खुद को खोज नहीं पाते सब मारे-मारे घूमते हैं रातों को जग-जग कर दिन के उजाले ढूंढते हैं।। जब तक है जवानी, जंग जारी है जिंदगी की यह दूसरी पारी है जाने कब खेल खत्म हो जाना है पर लगता है जैसे जिंदगी अभी सारी है।। नियम नियति के तोड़कर बनावटी पुष्पों से सुगंध सूंघते हैं रातों को जग-जग कर दिन के उजाले ढूंढते हैं । ©Sushil Patial उजाले ढूंढते हैं। #Stars