जनहित की रामायण - 42 सत्ता गल्ली की हो या दिल्ली की, जनहित की सोच ही नहीं, जन्तन्त्र किताबों में सिमटा, हकीकत में हुकमशाही चल रही ! पिंपरी अजमेरा कॉलोनी में पादचारी को चलना है ड़र ड़र कर, कार वालों को पार्किंग की जगह मिल जाये, ये संभव ही नहीं !! सब्जी मण्डी खाली पड़ी, सब्जी सड़क किनारे बेची जा रही, बेकार भंगार न चलने वाली गाडी, हर कहीं नजर आ रही ! सरकारी बैंक की जब्त गाड़ियां वर्षों से खड़ी सड़क किनारे, अदालती आदेश का पालन, पुलिस करती नजर न आ रही !! अमूमन अतिक्रमण की पराकाष्ठा का दौर चल पड़ा है, 10-20% की नहीं 100-200% तक अतिक्रमण हुआ है ! नामचीन संस्था, अतिक्रमण कर चला रही अस्पताल, सीनाजोरी की, अब कोई सीमा ही नहीं रही है !! ये तो समस्याएं बयान हुई सिर्फ गल्ली की, दिल्ली की तो हमने अब तक बात ही न की ! गल्ली की समस्याओं को पहले सुलझाएं हम, फिर दिल्ली की बात में लग पायेगा हमारा 'जी' !! भंगार वाहन अविलंब हटायें जायें, बिजली के बक्से किनारे में लगवाएं ! एक किनारे गाडियाँ और एक किनारे पदपथ, ताकि पादचारी भी सकून से चल पायें !! सब्जी फल के लिये, बनी हुई मण्डी शुरु हो, ताकि पदपथ के लिये, जगह उपलब्द्ध हो ! अतिक्रमण की सीमा निश्चित हो सके गर, सेक्टरों में वाहनों की जगह कुछ तो हो !! ये सब यदि अनजाने कारणों से न हो संभव, पादचारियों को 10 फीट ऊंचे पदपथ का दो वैभव ! चढ़ने उतरने के लिये लगायें स्वचालित सीढियाँ, सी एस आर तहत भी करा सकते हैं ये संभव !! - आवेश हिन्दुस्तानी 21.8.2021 ©Ashok Mangal #JanhitKiRamayan #AaveshVaani #galli #janhit