क्या तुम सून रही हो....? बस तुमसेही प्यार है हर गाने मे वो गाता है कितना सच कितना झूट क्या तुम मान रही हो मै सुरज नही जो पुरबमे जागके पश्चिम मे बित जाये ना है चांद भी जो बादलोंकी झुंड मे अटक जाये क्या तुम सून रहि हो? धूमकेतू भी नही जो आकाश कि गंगा मे भटक जाये ना है चमकीले तारे कौन है कहा पहचान भी ना आये क्या तुम सून राही हो? जहा जाओगी वहा पावोगी मै सप्नो मे उतरके आउंगा जागले फिर छोडके निंदोंको कभी ना छोडके जाउंगा क्या तुम जान रही हो कितना सच कितना झूट क्या तुम सून रही हो? रोशन देसाई 26।02।20 क्या तुम सून रही हो?