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ऐ जिन्दगी ठहर जा अभी कइयों का उधार बाकी है कुछ गिल

ऐ जिन्दगी ठहर जा
अभी कइयों का उधार बाकी है
कुछ गिले शिकवों का व्यापार बाकी है
ऐ जिन्दगी ठहर जा
अभी कइयों......
कुछ कर्ज़ है दर्द का कुछ दर्द है कर्ज़ का
कैसे चुकाऊंगा कुछ मर्ज है हमदर्द का
ऐ जिन्दगी ठहर जा 
अभी कइयों.......
मैं तो अपने लक्ष्य पे चुप चाप जा रहा था
आस्तीन में कोई बैठ के सुई चुभा रहा था
ऐ जिन्दगी ठहर जा
अभी कइयों.…...
वो देखता तो होगा मुस्कान के ग्रहण को
ये "सूर्य" ढल रहा है बस पहले ही चरण को
ऐ जिन्दगी ठहर जा
अभी कइयों....….

©R K Mishra " सूर्य "
  #ठहर जा