छोड़ा जब दिवसों ने मुझको रजनी ने आ दामन थामा मेहबूब लगा मुझको उस पल रातों का वो चन्दा मामा पर देखके धब्बा मुख पे ये उपमा खंडित भी जान पड़ी तब लिखा उसे उस पल से ही गीतों में कृष्णा व श्यामा छोड़ा जब दिवसों ने मुझको रजनी ने आ दामन थामा मेहबूब लगा मुझको उस पल रातों का वो चन्दा मामा पर देखके धब्बा मुख पे ये उपमा खंडित भी जान पड़ी तब लिखा उसे उस पल से ही गीतों में कृष्णा व श्यामा