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बचपन की किसी याद की मांनिंद फिर आवारा हवाओं से बह

बचपन की किसी याद की मांनिंद 
फिर आवारा हवाओं से बहेंगे गली-गली 
हँस लेंगे यूँ ही हर बात पर खुलकर बेवजह 
आँचल में बटोर लेंगे बिखरी हुई फ़िजा
फिर रोशन हो उठेगा बुझ चुका है जो मंज़र 
खिड़कियाँ खोल जब भर लेंगे रोशनी का समंदर 
ढूँढ लेंगे सब खोए हुए सोए हुए सपने 
मिल जाएँगे फिर से सभी रूठे हुए अपने 
दस्तक फिर से देंगे जंग लगे सभी किवाड़ों पर
चंद सिक्के लिए घूमेंगे ख़्वाहिशों की मिनारों पर
बहुत पीछे कदम ये छोड़ आए जो हंसी राहें 
तू आ तो फिर से चल देंगे ज़िदगी से भरी उन राहों पर  

#rzलौटआनाकिसीदिन #yqrestzone #collabwithrestzone #restzone #yqrz #yqdidi #YourQuoteAndMine
Collaborating with Rest Zone
#wingsofpoetry
बचपन की किसी याद की मांनिंद 
फिर आवारा हवाओं से बहेंगे गली-गली 
हँस लेंगे यूँ ही हर बात पर खुलकर बेवजह 
आँचल में बटोर लेंगे बिखरी हुई फ़िजा
फिर रोशन हो उठेगा बुझ चुका है जो मंज़र 
खिड़कियाँ खोल जब भर लेंगे रोशनी का समंदर 
ढूँढ लेंगे सब खोए हुए सोए हुए सपने 
मिल जाएँगे फिर से सभी रूठे हुए अपने 
दस्तक फिर से देंगे जंग लगे सभी किवाड़ों पर
चंद सिक्के लिए घूमेंगे ख़्वाहिशों की मिनारों पर
बहुत पीछे कदम ये छोड़ आए जो हंसी राहें 
तू आ तो फिर से चल देंगे ज़िदगी से भरी उन राहों पर  

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