साथ तेरे जिस्म के, करना बस एक गुनाह चाहता हूॅं, तेरे कांधे पर रख सिर, तेरी बाहों में पनाह चाहता हूॅं।। एक आसरा दिखा, अरसों तक चलने के बाद किसी तरह, तेरी ज़ुल्फों में बिखरकर, करना इस सफ़र को फ़ना चाहता हूॅं।। ©Arc Kay #Shaayavita #Panaah #gunaah #jism #zulf #hugday