रचना नंबर 1 “मोमबत्ती सी यादें” मोमबत्ती की तरह है मेरी ज़िंदगी जलती रही। बस तेरी यादों में धीरे धीरे पिघलती रही। रोशनी देकर लम्हा लम्हा कतरा कतरा ख़ुद को जलाते रहे। दिल में तेरी यादों को खुद हम पिघलाते रहे। पिघलती रही मोम की तरह दिल की दर्द ना देखी। पिघलते मोम की तरह आंँसूओ की बारिश होती रही। कभी यादें सुलगते रहे दिल में चिंगारी सी धधकती रही। कतरा कतरा ख़ुद के अस्तित्व खो कर धीरे धीरे अंधेरे में जाती रही। #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #kkकविसम्मेलन #kkकविसम्मेलन2 #विशेषप्रतियोगिता #kkdrpanchhisingh