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तुझसे इतना इल्तजा हैं बारिश मेरे छत पर न बरस न

तुझसे   इतना इल्तजा  हैं बारिश मेरे छत पर न बरस न       मोहब्बत हैं    तुझसे  न  नफरत का इरादा तेरे   बुंदे   न छुती  हैं मुझको  न शरमाई  हुई उसके  बाहों में    सिमटती   हूँ   क्यों  इतना बरस  रही  हैं  लगता हैं  तेरा भी  दिल  भारी   हैं।।। मेरे छत पर न बरस ।।
तुझसे   इतना इल्तजा  हैं बारिश मेरे छत पर न बरस न       मोहब्बत हैं    तुझसे  न  नफरत का इरादा तेरे   बुंदे   न छुती  हैं मुझको  न शरमाई  हुई उसके  बाहों में    सिमटती   हूँ   क्यों  इतना बरस  रही  हैं  लगता हैं  तेरा भी  दिल  भारी   हैं।।। मेरे छत पर न बरस ।।
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Arti Gupta

New Creator

मेरे छत पर न बरस ।।