जो जिगर रे टुकड़े थे, आज उन्हीं सु मिलणे खातिर जिगर जलता है। जिणे देखे बगैर शाम ना होती थी, आज वाणे देखे खातिर नजरें तरस जावे से। -बाईसा राज नेहा पंड्या #जिगर_के_टुकड़े#NojotoWritter