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एक ही आसमाँ के गुलिस्ताँ में खिलते है मगर, रवायत

एक ही आसमाँ के गुलिस्ताँ में खिलते है मगर,
 रवायत ये है कि सुरज़ की चाँद से दुरी रहे...
 किस्से पुरे होते रहतेे है यहाँ हमेशा,
दिलचस्प कहानी का दस्तुर है वो अधुरी रहें...
 पैदा कर देगी अना फिर कोई ना कोई मसला ,
 हिदायत है हदों का ज़िक्र बातों में जरुरी रहें....
नज़र का टीका लगा कर राजा बेटा कहा था अम्मी ने,
शिकायत नही किसी की भी अब जी हजुरी रहें...
इक लफ्ज़ इतना मुकम्मल बक्शा है खुदा ने,
क्या दरकार  मुझे कि मेरी हर नज़्म पुरी रहे!!
इक लम्हा मुकम्मल हयात् का भरम दे दे बस,
 उम्र सारी की सारी चाहे ,कोई ना कोई मजबुरी रहे.... #Nojotoindore#jazzbaat#jaspreetbagga
एक ही आसमाँ के गुलिस्ताँ में खिलते है मगर,
 रवायत ये है कि सुरज़ की चाँद से दुरी रहे...
 किस्से पुरे होते रहतेे है यहाँ हमेशा,
दिलचस्प कहानी का दस्तुर है वो अधुरी रहें...
 पैदा कर देगी अना फिर कोई ना कोई मसला ,
 हिदायत है हदों का ज़िक्र बातों में जरुरी रहें....
नज़र का टीका लगा कर राजा बेटा कहा था अम्मी ने,
शिकायत नही किसी की भी अब जी हजुरी रहें...
इक लफ्ज़ इतना मुकम्मल बक्शा है खुदा ने,
क्या दरकार  मुझे कि मेरी हर नज़्म पुरी रहे!!
इक लम्हा मुकम्मल हयात् का भरम दे दे बस,
 उम्र सारी की सारी चाहे ,कोई ना कोई मजबुरी रहे.... #Nojotoindore#jazzbaat#jaspreetbagga
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