गत सप्ताह पेश बजट में कई सार्थक पहल की गई है इसमें डिजिटल करेंसी बहुत चर्चा हुई हुई है यह स्वाभाविक भी है कई दुनिया भर में मुद्रा के स्तर पर नई तकनीकी परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं इसका स्वरूप डिटेल मुद्रा पारंपारिक मुद्रा के लिए सरकार को नोट छपते पढ़ते हैं इसका खर्च देशभर पड़ता है आपको नोट को अपनी जेब में रखना पड़ता है नोट खराब भी हो जाता है डिजिटल करेंसी में यह खर्च और जोखिम काम हो सकता है जैसे नोट पर एक नंबर छपा होता है उसी प्रकार डिजिटल करेंसी का एक नंबर रिजर्व बैंक बनाएगा आप रिजर्व बैंक को भुगतान कर वह नंबर ले सकते हैं वह नंबर रिजर्व बैंक के कंप्यूटर में दर्ज हो जाएगा कि इस नंबर की आईडी चल करेंसी अमुक व्यक्ति की है जब व्यक्ति उसी किसी को हस्तांतरित करेगा तब रिजर्व बैंक का कंप्यूटर पुष्टि कर देगा कि डिजिटल करेंसी वास्तव में उस व्यक्ति की ही है उसके बाद वह नंबर पाने वाले के खाते में चढ़ जाएगा कागज बनाना नोट छापने गाड़ियों से देश भर में पहुंचाना और बैंक से विस्तृत करने आदि पर आने वाला खर्च भी कट जाएगा हालांकि इससे अर्थव्यवस्था की मूल स्थिति में विशेष सुधार नहीं होगा परंतु पारदर्शी जरूर बढ़ेगी क्योंकि इसे आसानी से ट्रिक किया जा सकता है पारंपारिक मुद्रा की जानकारी आरबीआई के पास नहीं होती जैसे रिजर्व बैंक जाना चाहे कि अमुक नंबर का नोट किस व्यक्ति के पास है तो उसका पता लगाना मुश्किल है वही डिजिटल करेंसी का नंबर कंप्यूटर में धारा के खाते में दर्ज हो जाएगा और यह पता लगेगा कि अभी इस नोट का मालिक कौन है ©Ek villain #सेवा क्षेत्र ही देगा रोजगार को सहारा #chocolateday