यह ज़िन्दगी का काफिला ही एसा है जनाब तजुर्बो से यह चलता है बस एक बात समझ लो काफी है कि यहाँ मुश्किलों से घबराकर नहीं मुश्किलों से लडकर मन्जिलो से मिलना है jindagi ka dastor hai khud jalakr dusro ko ujagar karna hota hai na chahtein hue bhi hat pal ladna padta hai.... Mohammad साकिब عثمانی (ALIG) कवि जय पटेल दीवाना Sambhav jain(महफूज़_जनाब)