एक फरिश्ता ऐसा भी... जी हां एक फ़रिश्ता ऐसा भी. इस मतलबी दुनिया मे एक फ़रिश्ता ऐसा भी जिसने हमे गले लगाया जिसने मुझे घर पहुंचाया इस निराशा में चिंगारी लेकर आया जिसके अन्दर है सारे मजहब मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा बिना भेद भाव से जिसने सबको गले लगाया राजनीति से उपर उठकर जिसने सोचना सिखाया पेट भरते नेताओं को जिसने इंसानियत दिखलाया अब भी न सीखे तुम तो धिक्कार है तुम्हारी राजनीति पर धिक्कार है तुम्हारी इन्सानियत पर एक फ़रिश्ता ऐसा भी जिसने सबको गले लगाया Written By-ashish #Nojoto