किसका लहूं था, कौन मरा, ना जाना कभी हत्यारों ने। शहादत पर क्यों मौन छा गया, छप्पन इंची गलियारों में।। शय पर जिनकी शेर ढा दिए, चंद कुत्तों ने हथियारों से। वो लहूं पानी के भरे हुए कई गद्दार यहां दरबारो मे। जख्मों पर आज नमक लगा है अपने अश्रु खारो का। फिर से आज मातम पसरा है प्रहरी के परिवारों में।। लगता है कोई चूक रह गई सरहद पर चौकिदारों की। जो दहशत लेकर घुस आए कुछ भेड़िये अंधियारों में।। घाटी से लेकर दिल्ली तक अब गूंज उठी ललकारों की। जला कर राख दफना दो इनको जहन्नुम की गहरी गारो में।। लेने है ये जवाब हमें सियासत के ठेकेदारों से भी। क्यो बिकता है बारूद सरेआम काश्मीर के बाजारों में? भर लो अब के मुठ्ठियां अपनी सब अमर चिताओं के अंगारों से। कहीं बेच ना पाए कोई खबरंडी संवेदनाएं अखबारों में ।। कल कश्मीर के पुलवामा में सी.आर.पी.एफ. के काफिले पर हुए आतंकी हमले में 40 वीर जवान शहीद हो गए। जो कि बहुत ही दुखद है और देश की सुरक्षा पर बहुत बड़ा हमला है। आज देश में इस आतंकवादी हमले के विरुद्ध आक्रोश है और साथ ही शहीद सैनिको के परिवारों के प्रति संवेदनाएं भी हैं। और यह दर्द, यह संवेदनाएं हमें जाया नही होने देनी है। #पुलवामा_शहीदो_को_नमन #पुलवामा_आतंकी_हमला #पुलवामा #शहीद #martyr