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जब समुद्र-मंथन हो रहा था, गरल से जग सारा कांप गया।

जब समुद्र-मंथन हो रहा था,
गरल से जग सारा कांप गया।
शिव-शंकर के पूजन से,,
देव दानव दल भांप गया।।

विष का प्याला हलाहल पिके,
प्रभु!फिर भी मुस्काए।
सृष्टि को नव-जीवन देकर,,
महादेव विषधर कहलाए।।

शिव की लीला अपरंपार,
कोई समझ नहीं पाते हैं।
काल को जिसने हरा दिया,, 
वो महाकाल कहलाते हैं।।

©Satish Kumar Meena
  #mahakal