हो तेरी तारीफ मुमकिन जिनसे ऐसे शब्द नही बने देख के तुझको जिसकी धड़कन न बढ़ जाये ऐसे दिल नही बने देसी और विदेशी सब चख ली है "शराब" हमने तेरी आँखों से ज्यादा नशा पर नही है इनमे विवेक दाधीच