चलती राहों में भी हमको फर्ज दिखाई देता है इतने है मशगूल काम में और है इतने फंसे पड़े चले मॉल भी तो उसके बनने का कर्ज दिखाई देता है कोई दिखे हसीना भी तो मर्ज दिखाई देता है देखके इनकी चिकनी बाहें वैक्स का दर्द दिखाई देता है कभी मटक चले तो पथरी और अपेंडिक्स दिखता है मुझे हवा के झोकों में भी आह सुनाई देती है और समंदर की लहरों में कराह सुनाई देती है रुकते उड़ते वीमानो की मुझे तो हाय सुनाई देती है कितनी आह भरी की इसकी सास उड़ा ले जाती है दूर गगन में भूं भूं रोये जैसे शर्दी में लोमड गाए जब दर्द हो दर्द ही दिखता है रोगी को मर्ज ही दिखता है संगीतकार को दिखता होगा सा नी धा पा रे गा व्यवसायी को शेयर दिखे और हमको दिखे नरेगा ©दीपेश #दर्द #मनोदशा