हमें कुछ पता नहीं है हम क्यूँ बहक रहे है रातें भी जल रहीं है दिन भी सुलग रहे है जबसे है तुमको देखा हम इतना जानते है तुम भी महक रहे हो हम भी महक रहे है : पतझड़ में भी वो डाल हिला कर चला गया वो बर्फ सा था फिर भी जला कर चला गया बातों में शहद और छुअन में गुलाब था नजरों से जाने क्या क्या पिला कर चला गया : बेदाम चीज थी तो उसपे दाम क्यूँ लिखा तुम रति ही नही थी तो मुझे काम क्यों लिखा जब प्यार ही नहीं था तुम्हें हमसे फिर कहो चुप चाप हथेली पे मेरा नाम क्यों लिखा : अब लिख ही लिया है तो इसे मत मिटाइये और हो सके तो मेरा मुक़द्दर बनाइये दरिया दिली तुम्हारी ये बगीया करेगी याद मत फूल पर बैठा हुआ भंवरा उड़ाइये .......☺ .......👴 हर कहानी अलग होती है। अपनी दास्ताँ लिखें। #पहलेदिन #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi जी मैंने अपना प्यार पहली मुलाकात इन्ही पंक्तियों के साथ की थी ...ये प्रेम के महान कवि डॉ विष्णु सक्सेना जी की कलम से..... 😊